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अटल, योगेश (2013) भ्रष्टाचार : समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य प्रतिमान, 1 (1). pp. 39-51.

अनिवेद, शिवनारायण सिंह (2001) आधुनिकता का लबादा: प्रभुत्व एवं प्रतिरोध का द्वन्द्वात्मक विमर्श मूल प्रश्‍न. pp. 27-33.

अहमद, हिलाल (2013) मंटो : सियासत के अधूरे अफ़साने प्रतिमान, 1 (1). pp. 254-267.

कपूर, शिवानी (2016) इत्र बनाम चमड़ा : उत्तर प्रदेश में जाति और गंध की राजनीति प्रतिमान (7). pp. 240-257.

कुमार, अरविन्‍द (2015) कांशीराम और उत्तर-आम्बेडकर दलित-विमर्श प्रतिमान, 3 (1). pp. 148-166.

कुमार, सतेन्‍द्र (2015) राजनीतिक अध्ययन में एथ्नॉग्राफ़ी की भूमिका प्रतिमान, 3 (1). pp. 213-221.

कोलगे, निशिकान्त (2019) दलित आन्दोलन के लिए गाँधी - आम्बेडकर बहस के सबक़ प्रतिमान (13). pp. 26-38.

गाताडे, सुभाष (2015) स्वच्छ भारत अभियान : कितने सारे मौन? प्रतिमान, 3 (1). pp. 46-63.

गुप्ता, चारु (2013) रूप और अरूप, सीमा और असीम : औपनिवेशिक उत्तर भारत में दलित-पौरुष प्रतिमान, 1 (1). pp. 99-125.

गोस्वामी, नरेश (2017) संविधान की एक उत्तर-कथा : नीति निर्देशक सिद्धान्त मौलिक अधिकार क्यों नहीं बन सके? प्रतिमान (9). pp. 282-296.

चटर्जी, पार्थ (2019) जनता का सम्प्रभु और बहुसंख्यकवाद प्रतिमान (13). pp. 1-9.

चतुर्वेदी, अरूण (2001) राजनैतिक व्यवस्था टूट रही है मूल प्रश्‍न. pp. 55-57.

चौधरी, सौम्यव्रत (2014) राजनीति के क़ाबिल कौन है? : आम्बेडकर बरक्स अरस्तू प्रतिमान, 2 (1). pp. 259-278.

चौबे, कमल नयन (2019) सोशल मीडिया और मतदाता प्रतिमान (13). pp. 17-25.

चौबे, कमलनयन (2013) दो ‘प्रगतिशील’ कानूनों की दास्तान : राज्य, जन-आन्दोलन और प्रतिरोध प्रतिमान, 1 (1). pp. 149-177.

जैन, प्रकाशचन्द्र (2001) विकास व्यवस्था के शिकार आदिवासी : संरक्षात्मक भेदभाव का मसला मूल प्रश्‍न. pp. 49-52.

जोठे, संजय (2016) महिषासुर-विमर्श : एक बार फिर मिथकीय पुनर्पाठ प्रतिमान (7). pp. 107-130.

झा, इंद्रजीत कुमार (2013) सलवा जुडूम और न्याय का लोकतंत्रीकरण : नीति-निर्णय, उदारीकरण और सुप्रीम कोर्ट प्रतिमान, 1 (1). pp. 178-202.

झा, पंकज कुमार (2017) बाढ़ से जीयब, बाँध से मरब : बाढ़ नियंत्रण की राजनीति प्रतिमान (9). pp. 246-263.

झा, विजय कुमार (2016) भारतीय नारीवाद और भिन्नता का प्रश्न प्रतिमान (7). pp. 258-273.

झा, सदन (2013) देखने की राजनीति : भारत का झण्डा और आस्था की नज़र प्रतिमान, 1 (1). pp. 234-253.

टण्टन, आलोक (2016) नेहरू और आम्बेडकर : भारतीय आधुनिकता के दो चेहरे प्रतिमान (7). pp. 26-42.

ठाकुर, मणींद्र नाथ (2013) ज्ञान की सामाजिक उपयोगिता और 'मुर्दहिया' प्रतिमान, 1 (1). pp. 52-72.

दास, शंकर and दास, प्रसीत (2016) जूट उद्योग : एक सुनियोजित हत्या प्रतिमान (7). pp. 76-90.

दुबे, अभय कुमार (2013) पटरी से उतरी हुई औरतों का यूटोपिया : राष्ट्रवाद का प्रति-आख्यान प्रतिमान, 1 (1). pp. 286-416.

दुबे, अभय कुमार (2016) फीका पड़ता भूमण्डलीकरण और भारत : बाज़ारपरस्ती बनाम पूँजीपरस्ती प्रतिमान (7). pp. 11-25.

देशपाण्डे, राजेश्‍वरी (2014) क्या चाहती हैं वोटर औरतें? प्रतिमान, 2 (1). pp. 173-182.

देशपाण्डे, सतीश (2014) चुनाव और हमारा विवेक [Interviews/Panel Discussions]

निगम, आदित्य (2014) जनतंत्र और जनवाद के बीच : कुछ सैद्धांतिक सवाल प्रतिमान, 2 (1). 01-22.

निगम, आदित्य and चौधरी, श्रीश and दीवान, हृदय कान्त and दासगुप्ता, प्रबाल and त्रिपाठी, राधावल्लभ and बनर्जी, प्रथमा and पाण्डेय, राकेश and दुबे, अभय कुमार and अहमद, हिलाल and कुमार, सतेन्द्र and राजकुमार, and नरेगल, वीणा and प्रियर्शिनी, मुकुल and भट्टाचार्य, बैदिक and देशपाण्डे, सतीश and शर्मा, कंचन and दिवाकर, ज्योति (2019) अंग्रेज़ी और हम [Interviews/Panel Discussions]

पचौरी, सुधीश (2016) काव्य की रीति सिखी सुखबीन सों : रीतिकाल में फ़ूको विचरण (3) प्रतिमान (7). pp. 179-204.

पाण्डेय, अंकिता (2013) समकालीन भारत में नागरिकता का मानचित्र प्रतिमान, 1 (1). pp. 285-302.

पाण्डेय, राकेश (2016) भारतीय आधुनिकता और पूर्व-पक्ष की खोज : एक संवाद लेख प्रतिमान (8). pp. 39-71.

बनर्जी, प्रथमा and निगम, आदित्य and पाण्डेय, राकेश (2019) सिद्धान्त का कर्म : परम्पराओं के आर-पार चिन्तन प्रतिमान (13). pp. 144-164.

बानू, ज़ेनब (2005) मुस्लिम समाज जेण्डर एवं राज्य मूल प्रश्‍न. pp. 42-46.

बोरा, बनस्मिता (2019) बग़ावत पर सोचते हुए बाग़ी : उपलब्धियाँ, विषाद और अवसाद प्रतिमान (13). pp. 310-328.

बोर्दिया, मंजुला (2001) सामाजिक न्याय और आत्मबल मूल प्रश्‍न. pp. 11-13.

भार्गव, नरेश (2005) त्यागे गए लोगों पर लेखन: अरण्य में नई आवाज़ें मूल प्रश्‍न. pp. 53-55.

भार्गव, नरेश (2001) कट्टरता के मानदण्ड और नये आचार की अपेक्षाएं मूल प्रश्‍न. pp. 23-26.

भार्गव, नरेश (2001) आतंकवाद : नर्म राष्ट्र की गर्म हवा मूल प्रश्‍न. pp. 9-13.

मुस्कान, (2015) विस्थापन का बोझ ढोती स्त्रियाँ : विकास परियोजनाओं की एक नारीवादी समीक्षा प्रतिमान, 3 (1). pp. 222-224.

मेनन, निवेदिता and वर्मा, अर्चना and बुटालिया, उर्वशी and नक़वी, फ़राह and घई, अनीता and तिलक, रजनी (2017) नारीवाद की भारतीयता : आयाम अस्मिता और अन्तरंगता [Interviews/Panel Discussions]

मेहता, जगत एस. (2001) प्रजातंत्र में हम और वे मूल प्रश्‍न. pp. 5-7.

यादव, चन्द्रजीत (2001) सामाजिक न्याय - पिछड़े वर्गों की भूमिका मूल प्रश्‍न. pp. 6-10.

राय, विभूति नारायण (2005) वर्णाश्रमी असभ्यता मूल प्रश्‍न. pp. 37-41.

लोढ़ा, संजय (2001) आतंकवाद : अर्थ और विकल्प मूल प्रश्‍न. pp. 5-8.

वर्मा, एस. एल. (2001) क्या हो आतंकवाद का स्थाई  समाधान? मूल प्रश्‍न. pp. 21-23.

वर्मा, जगमोहन सिंह (2001) हिन्दू सामाजिक ढांचा एवं दलित मूल प्रश्‍न. pp. 17-19.

वाल्मीकि, ओमप्रकाश (2005) दलित नैतिकता बनाम वर्चस्ववादी मूल प्रश्‍न. pp. 33-36.

विद्यालंकार, धर्मचन्द्र (2001) सामाजिक न्याय की अवधारणा और स्वरूप मूल प्रश्‍न. pp. 79-82.

व्यास, भगवतीलाल (2001) व्यक्तिपूजा और व्यवस्था के ख़तरे मूल प्रश्‍न. pp. 12-14.

शरण, अवधेन्द्र (2017) शहर और पर्यावरण प्रतिमान (9). pp. 363-368.

शर्मा, अम्बिकादत्त (2014) हिन्द स्वराज्य' और 'कम्युनिस्ट घोषणापत्र' : मार्क्स, गाँधी और हाइडैगर के आईने में एक पुनर्पाठ प्रतिमान, 2 (1). pp. 223-238.

शर्मा, सुरेश and वाजपेयी, उदयन (2019) आधुनिकता और पेगन सभ्यताएँ [Interviews/Panel Discussions]

शलभ’, धर्मपाल गुप्त (2001) दलित संचेतना के उभरते प्रश्‍न मूल प्रश्‍न. pp. 34-36.

शुक्ल, बलराम (2017) रूमी की कीमियागरी : पंचतंत्र की नैतिक कथाओं का आध्यात्मिक संस्करण प्रतिमान (9). pp. 218-245.

शेठ, धीरूभाई (2014) आधुनिकता और लोकतंत्र की द्वंद्वात्मकता [Interviews/Panel Discussions]

शेठ, धीरूभाई and ठाकुर, मणींद्र and चौबे, कमलनयन (2013) भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम और राजनीतिक संकट : एक सैद्धान्तिक परिप्रेक्ष्य [Interviews/Panel Discussions]

श्रीमाली, कृष्ण मोहन (2017) भारत में धार्मिक पहचानों का गठन प्रतिमान (9). pp. 334-363.

सर्वेश, तरुशिखा (2017) हाशिए का सशक्तीकरण : दलित स्त्रियाँ-हसरतें और अनुभव प्रतिमान (9). pp. 298-315.

सिंह, चन्द्रभूषण प्रसाद (2001) सामाजिक परिवर्तन और ज्ञान की क्रान्ति मूल प्रश्‍न. pp. 24-30.

सिंह, धनंजय (2014) प्रवासी मज़दूर : बिदेसिया लोक-संस्कृति प्रतिमान, 2 (1). pp. 279-311.

सिंह, रमाशंकर (2015) बंसोड, बाँस और लोकतंत्र प्रतिमान, 3 (1). pp. 225-273.

सुहृद, त्रिदीप (2013) हिंद स्वराज्य : गोधुलि वेला में परम्परा और आधुनिकता प्रतिमान, 1 (1). pp. 1-12.

सोहोनी, रवीन्द्र कुमार (2001) सामाजिक न्याय के सन्दर्भ में आचार्य विनोबा भावे के विचार मूल प्रश्‍न. pp. 31-33.

सौभाग्यवती, (2001) दलित व्यथा का यथार्थ मूल प्रश्‍न. pp. 53-57.

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