विज्ञान की प्रकृति और विस्तार
सिंह, राजेन्द्र (2005) विज्ञान की प्रकृति और विस्तार In: विज्ञान शिक्षा.
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Introduction
यह 2005 में विद्या भवन, सोसायटी, उदयपुर में ‘विज्ञान शिक्षण’ पर आयोजित सेमीनार में ‘विज्ञान की प्रकृति और विस्तार’ पर प्रोफ़ेसर राजेन्द्र सिंह द्वारा दिया गया व्याख्यान है। वक्ता विज्ञान की प्रकृति और विस्तार का अध्ययन करते हैं और प्राकृतिक, पुनर्निर्मिति व आलोचनात्मक विज्ञानों जैसे पारम्परिक शब्दों को शामिल करते हुए विज्ञान को 'सामान्य तौर पर’ देखने का प्रयास करते हैं। वक्ता सुझाते हैं कि क्या विज्ञान की प्रकृति को तार्किक और अनुभव-आधारित विधियों से पूरी तरह से समझा जा सकता है और इस सन्दर्भ में वे ज्ञानमूलक अनिश्चितता और अस्तित्वमूलक अनिश्चितता की ओर संकेत करते हैं।
Item Type: | Conference or Workshop Item (Paper) |
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Discipline: | Science Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Vidya Bhawan Society > Conference Papers |
Title(English): | The Nature and Scope of Science |
Creators(English): | Rajendra Singh |
Contributors: | Translator:Sushil Joshi |
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URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3214 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.