हिन्द स्वराज
गाँधी, एम.के. (1949) हिन्द स्वराज Navajeevan Publishing House. ISBN 81-7229-070-5
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Introduction
संवाद शैली पर आधारित पुस्तक ‘हिन्द स्वराज’ में गाँधी ने आधुनिक सभ्यता की ख़ामियों को रेखांकित करते हुए भारतीय समाज और सभ्यता की जीवन्तता का वर्णन किया है। जहाँ एक ओर गाँधी ने काँग्रेस की नीतियों, बंग-भंग के प्रभाव, स्वराज तथा उदार और उग्रवाद के अन्तर का ज़िक्र किया है, वहीं संसदीय व्यवस्था के दुर्गुणों को भी प्रस्तुत किया है। पुस्तक में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि रेलगाड़ियों, वकीलों, डॉक्टरों, मशीनों और अँग्रेज़ी शिक्षा ने कैसे भारत को बदहाल किया है। गाँधी ने निष्क्रिय प्रतिरोध के साधनों के रूप में सत्याग्रह और आत्मबल तथा उपयुक्त शिक्षा की महत्ता रेखांकित की।
Item Type: | Book |
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Discipline: | Political Economy of Education |
Programme: | Postgraduate Programmes > MA in Education |
Title(English): | Indian Home Rule or Hind Swaraj |
Creators(English): | M.K Gandhi |
Publisher: | Navajeevan Publishing House |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/1729 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.