श्रव्य-दृष्टव्य : सिनेमा में रेडियो 2.0
रविकान्त, (2013) श्रव्य-दृष्टव्य : सिनेमा में रेडियो 2.0 प्रतिमान, 1 (2). pp. 581-600.
Fulltext Document
श्रव्य-दृष्टव्य - सिनेमा में रेडियो 2.0.pdf Download (2MB) |
Introduction
इस आलेख में दो प्रसार माध्यमों - रेडियो व सिनेमा - के इतिहास को एक साथ रखकर दिखाने का प्रयास किया गया है। इसमें मनोरंजन के माध्यम से श्रव्याचार के सांस्कृतिक विकास की कहानी को तकनीकी इतिहास के साथ संवाद-क्रम में प्रस्तुत की गयी है। सरकारी प्रतिबन्ध और सामाजिक असहजता से लेकर अंगीकार के बीच फैले पूरे वितान को विभिन्न दौर की फिल्मों की कथा व साथ-साथ किये गए सामाजिक सांस्कृतिक विश्लेषण के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
Item Type: | Article |
---|---|
Discipline: | Social Science Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Ravi Kant |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3081 |
Edit Item |
Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.