अर्थशास्त्र : हमारे पास, हमसे दूर (एक लोकोपकारी शास्त्र की विवेचना)
त्रिपाठी, राधावल्लभ (2015) अर्थशास्त्र : हमारे पास, हमसे दूर (एक लोकोपकारी शास्त्र की विवेचना) प्रतिमान, 3 (1). pp. 69-89.
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Introduction
यह लेख भारतीय चिन्तन परम्परा में अर्थशास्त्र की मौजूदगी और समाज के सर्वांगीण विकास में उसके उपयोग के इतिहास को खँगालने का प्रयास कर रहा है। लेख में ‘अर्थशास्त्र’ को ‘इकॉनॉमिक्स’ से अलग एवं अधिक व्यापक रूप में ग्रहण किया गया है। लेख अर्थशास्त्र के अत्यन्त सैद्धान्तिक होते जाने और उससे लोक से कटने के कारणों की पड़ताल करते हुए, इस प्रक्रिया को उलटने के उपायों को सुझाता है। लोकोपयोगी होने के लिए किसी भी शास्त्र या ज्ञान-परम्परा का व्यावहारिक होना ज़रूरी है, लेख ज्ञान-परम्परा को व्यावहारिक और लोकोपयोगी बनाने के प्रयासों का भी उल्लेख करता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Economics |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Radhavallabh Tripathi |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3240 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.