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किशोरीदास वाजपेयी का व्याकरण विमर्श (कारक और विभक्ति : समस्या और समाधान)

पाठक, रवींद्र कुमार (2015) किशोरीदास वाजपेयी का व्याकरण विमर्श (कारक और विभक्ति : समस्या और समाधान) प्रतिमान, 3 (1). pp. 190-212.

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किशोरीदास वाजपेयी का व्याकरण विमर्श (कारक और विभक्ति - समस्या और समाधान).pdf

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Introduction

यह लेख आचार्य किशोरीदास वाजपेयी के व्याकरण और भाषा में योगदान को रेखांकित करते हुए लिखा गया है। किसी भी दिशा में चिन्तन परम्परा की समीक्षा और बहुत हद तक परम्परा की आलोचना आगे बढ़ाती है, आचार्य किशोरीदास वाजपेयी ने इसी क्रम में किस प्रकार व्याकरण पर चिन्तन-लेखन की धारा को आगे बढ़ाया, लेख इसका सन्तुलित लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। लेख यह भी दर्शाता है कि व्याकरण विमर्श में हिन्दी व्याकरण चिन्तन किस प्रकार अपने चरणोत्कर्ष में भी अँग्रेज़ी से प्रभाव ग्रहण कर रहा था, जिसे आचार्य वाजपेयी ने छुटकारा दिलाने का पूरा प्रयास कर कारक एवं विभक्ति के क्षेत्र में अपनी रचनात्मकता और चिन्तन से समृद्धता प्रदान की। लेख में आचार्य वाजपेयी के व्याकरण विमर्श की कतिपय न्यूनताओं को भी सम्मानजनक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

Item Type: Article
Programme: Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan
Creators(English): Ravindra Kumar Pathak
Publisher: CSDS, Delhi
Journal or Publication Title(English): Pratimaan
URI: http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3243
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Disclaimer

Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.

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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್‍ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್‍ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.