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हाशिए का सशक्तीकरण : दलित स्त्रियाँ-हसरतें और अनुभव

सर्वेश, तरुशिखा (2017) हाशिए का सशक्तीकरण : दलित स्त्रियाँ-हसरतें और अनुभव प्रतिमान (9). pp. 298-315.

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हाशिए का सशक्तीकरण - दलित स्त्रियाँ-हसरतें और अनुभव.pdf

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Introduction

इस शोधपरक आलेख का उद्देश्य दलित स्त्रियों के सशक्तीकरण के बोध की पड़ताल करना है। दरअसल, शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में इस मुद्दे पर पूरी जाँच और चर्चा अभी तक नहीं की गई है। दलित स्त्रियों के सामाजिक सन्दर्भ अक्सर जाति-वर्ग-जेण्डर के तनाव से भरे होते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए उनके लिए एक अलग पद्धति तैयार करने की ज़रूरत है ताकि उसके ज़रिये दलित स्त्रियों के सशक्तीकरण की भावना के इस निजी पहलू पर संवेदनशीलता से सोचा-समझ जा सके। यह अध्ययन दलित स्त्रियों के सशक्तीकरण की व्यक्तिपरक समझ को बाहर लाने की कोशिश है। साथ ही यह उनके अनुभवों, उम्मीदों और अपने वातावरण से उनके सामंजस्य बिठाने के प्रयासों पर भी निगाह डालता है।

Item Type: Article
Discipline: Development Studies
Programme: Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan
Creators(English): Tarushikha Sarvesh
Publisher: CSDS, Delhi
Journal or Publication Title(English): Pratimaan
URI: http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3251
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Disclaimer

Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.

अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್‍ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್‍ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.