शहर और पर्यावरण
शरण, अवधेन्द्र (2017) शहर और पर्यावरण प्रतिमान (9). pp. 363-368.
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Introduction
सारे विश्व में पर्यावरण को लेकर चिन्ता जताने को सामाजिक-राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया है। इस पर कई खाँचों में चिन्तन किया जा रहा है, जिसमें रिहायशी पर्यावरण चिन्तन इसलिए ख़ास है कि वहाँ यह चिन्तन करने वाली जमात बसती है। लेख बताता है कि पर्यावरण चिन्ता न केवल पर्यावरण की चिन्ता तक सीमित है, बल्कि यह विकास के मॉडल, मानवीय स्वास्थ्य, इन्सान का प्रबन्धन कौशल, भू-राजनीति, ऊर्जा का इस्तेमाल, संस्कृति और मानवीय रचनात्मकता जैसे तमाम मुद्दों पर भी चिन्तन होता है। इस तरह लेख शहर को खलनायक न बनाते हुए पर्यावरण के तमाम मुद्दों को चिन्तन प्रवृत्त होने के लिए प्रेरित करते हुए प्रस्तुत करता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Development Studies |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Avadhendra Sharan |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3253 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.