लोकप्रिय का अनुकूलन और लोक का विस्थापन : आधुनिक हिन्दी रंगमंच का उदय
कुमार, अमितेश (2014) लोकप्रिय का अनुकूलन और लोक का विस्थापन : आधुनिक हिन्दी रंगमंच का उदय प्रतिमान (4). pp. 533-560.
Fulltext Document
लोकप्रिय का अनुकूलन और लोक का विस्थापन - आधुनिक हिंदी रंगमंच का उदय.pdf Download (1MB) |
Introduction
यह आलेख औपनिवेशिक काल में अँग्रेज़ी व यूरोपीय साहित्य के भारतीय रंगमंच पर हुए प्रभावों को प्रस्तुत करता है। लेखक ने दिखाया है कि किस तरह भारतीय रंगमंच एक लोकमाध्यम से अभिजन व औपनिवेशिक सत्ता का हथियार बनता गया। सत्ता केन्द्र में मध्यवर्ग के आने व उसके चरित्र की वजह से पारम्परिक रंगमंच के प्रति हीन भावना पैदा हुई। इसके साथ ही आदर्श के रूप में यूरोपीय व संस्कृत रंगमंच की ओर देखने से रंगमंच से सामान्य जन और उनकी दृष्टि को बाहर कर दिया गया। इससे न सिर्फ़ रंगमंच का कथ्य बदला, बल्कि उसकी संरचना और चरित्र में भी बदलाव आए। इस लेख में रंगमंच पर यर्थाथवादी रंगमंच, पारसी रंगमंच व्यावसायिकता, राष्ट्रीय आन्दोलन, हिन्दी प्रचार, समाज सुधार आन्दोलन के प्रभाव का आकलन है।
Item Type: | Article |
---|---|
Discipline: | Sociology of Modern India Development Studies |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Amitesh Kumar |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3489 |
Edit Item |
Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.