दिल माँगे मोर : समकालीन भारत में हिंग्लिश के सामाजिक और सांस्कृतिक सन्दर्भ
ओर्सीनी, फ्रे़चेस्का (2015) दिल माँगे मोर : समकालीन भारत में हिंग्लिश के सामाजिक और सांस्कृतिक सन्दर्भ प्रतिमान (6). pp. 516-539.
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Introduction
यह लेख भाषा के सामाजिक-सांस्कृतिक सन्दर्भों के साथ राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को प्रस्तुत करता है। आज़ादी के बाद उदारीकृत और निचली जातियों की दावेदारी वाले भारत में हिन्दी और अँग्रेज़ी के बीच की सीमाबन्दी लचीली हुई है। इसका नतीजा 'शुद्ध हिन्दी' तथा 'ब्रिटिश/शुद्ध अँग्रेज़ी' की पकड़ के कुछ ढीले होने में निकाला है। बेशक अँग्रेज़ी अब भी स्थानीय और वैश्विक सन्दर्भों में वृहत्तर सम्भावनाओं की भाषा है और ऐसा होना जारी है, लेकिन निचली जातियों के राजनीतिकरण और साक्षरता के चलते हिन्दी का लोकवृत्त बड़ा हुआ है। यह लेख इस जागरण और भाषायी चेतना को जोड़कर देखता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Language Education Development Studies |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Francesca Orsini |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
Contributors: | अनुवाद: चन्दन श्रीवास्तव |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3664 |
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Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.