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रीतिकाल-संहार और नायिका-द्वेष

दुबे, अभय कुमार (2015) रीतिकाल-संहार और नायिका-द्वेष प्रतिमान (6). pp. 579-601.

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रीतिकाल-संहार और नायिका-द्वेष.pdf

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Introduction

लेखक का मानना है कि रीति-संहार की इस परम्परा पर आधारित विचार-सारणियों का इस्तेमाल साहित्य-लेखन की नई प्रवृतियों पर बन्दिशें लगाने के लिए भी किया गया। साहित्य-लेखन के माध्यम से विकसित हो रहे नारीवादी विचार और सेक्शुअलिटी की अभिव्यक्तियाँ इसके ज़रिए विशेष रूप से निशाना बनाई गईं। प्रेम, यौनिकता और निजी जीवन में स्वायत्तता का दावा करने वाली स्त्री को बीसवीं सदी के पहले वर्ष में जिस साहित्यिक-सांस्कृतिक आक्रमण का सामना करना पड़ा था, वह आज अपनी अलग पहचान का दावा करने वाली स्त्री पर आक्रमण तक विकसित हो गया है। चूँकि यह मामला साहित्य के इतिहास-लेखन से सम्बन्धित है इसलिए लेखक हिन्दी के साहित्येतिहास की गुणवत्ता पर विचार करते हुए यह बताने का प्रयास करता है कि यह इतिहास-लेखन किस मुकाम पर खड़ा है।

Item Type: Article
Discipline: Language Education
Gender Science
Literature
Programme: Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan
Creators(English): Abhay Kumar Dubey
Publisher: CSDS, Delhi
Journal or Publication Title(English): Pratimaan
URI: http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3665
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Disclaimer

Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.

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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್‍ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್‍ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.