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पटरी से उतरी हुई औरतों का यूटोपिया : राष्ट्रवाद का प्रति-आख्यान

दुबे, अभय कुमार (2013) पटरी से उतरी हुई औरतों का यूटोपिया : राष्ट्रवाद का प्रति-आख्यान प्रतिमान, 1 (1). pp. 286-416.

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पटरी से उतरी हुई औरतों का यूटोपिया - राष्ट्रवाद का प्रति-आख्यान.pdf

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Introduction

यह लेख अनामिका के उपन्यासों की उत्तर-औपनिवेशिक विमर्शों के आलोक में गहराई से पड़ताल करता है। लेखक ने इस लेख के माध्यम से उन्‍नीसवीं और बीसवीं सदी की शुरुआत के उदीयमान भारतीय राष्ट्रवाद और स्त्री-संसार के बीच चल रही जद्दोजहद और बेचैनी को रेखांकित करते हुए उपन्यास विधा, स्त्री जीवन और राष्ट्रवाद के बीच आवाजाही करने वाले तर्कों की पडताल की है। राष्ट्रवाद को आकार देनेवाले मर्दों ने साधारण तौर पर मध्यकालीन स्त्रियों को अपने आदर्श-निर्माण के लिए प्रयुक्त करते हुए इसके बाहर की स्त्रियों को आदर्श-गृहिणी के पद से बाहर रखा और उन्हें 'पटरी से उतरी' औरतों के रूप में चिह्नित किया। यह लेख इसी पुरुषवादी मानसिकता पर पड़ी परतों को आलोचनात्मक नज़रिए खोलता है।

Item Type: Article
Discipline: Sociology of Modern India
Development Studies
Programme: Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan
Creators(English): Abhay Kumar Dubey
Publisher: CSDS, Delhi
Journal or Publication Title(English): Pratimaan
URI: http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3071
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Disclaimer

Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.

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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್‍ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್‍ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.