फीका पड़ता भूमण्डलीकरण और भारत : बाज़ारपरस्ती बनाम पूँजीपरस्ती
दुबे, अभय कुमार (2016) फीका पड़ता भूमण्डलीकरण और भारत : बाज़ारपरस्ती बनाम पूँजीपरस्ती प्रतिमान (7). pp. 11-25.
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Introduction
यह लेख शीत-युद्ध, भूमण्डलीकरण, नवउदारवाद और लोकोपकारी राज्य जैसी समाज-राजनैतिक स्थितियों के माध्यम से इतिहास के विभिन्न पड़ावों का जायज़ा लेता है। यह लेख न सिर्फ़ इन संकल्पनाओं पर पुनर्विचार करता है, बल्कि इनके एक-दूसरे के स्थानापन्न रूप से आने के इतिहास को भी खँगालता है। बर्लिन की दीवार गिरने के साथ शीत-युद्ध का अन्त, ब्रेग्ज़िट के साथ भूमण्डलीकरण का ख़ात्मा, धीरे-धीरे अपनी परिणति को पहुँचते लोकोपकारी राज्य और नवउदारवाद के पूँजीवादी चेहरे से लेख सीधे तौर पर मुख़ातिब है। लेखक इन सभी अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक हथियारों से बचने के लिए लोकोपकारी राज्य का पुनः आविष्कार करने के कुछ उपाय भी सुझाता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Economics Development Studies |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Abhay Kumar Dubey |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3388 |
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Disclaimer
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