जूट उद्योग : एक सुनियोजित हत्या
दास, शंकर and दास, प्रसीत (2016) जूट उद्योग : एक सुनियोजित हत्या प्रतिमान (7). pp. 76-90.
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Introduction
इस लेख में लेखक ने भारत तथा पश्चिम बंगाल में जूट उद्योग की वर्तमान दुर्दशा की चर्चा की है। पानी और आबोहवा की वजह से पश्चिम बंगाल और पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के अलावा इस उद्योग के विस्तार की सम्भावना दूसरे देशों में बहुत सीमित थीं। प्रश्न यह है कि क्या उसकी वर्तमान दुर्दशा प्राकृतिक नियमों के अनुसार स्वाभाविक रूप से हुई है? क्या काल के अन्तहीन गतिशील पथ पर यह एक स्वाभाविक मृत्यु है? या इसके पीछे छुपा हुआ है इस उद्योग की हत्या का एक कुटिल षड़यंत्र? पश्चिम बंगाल में जूट के कारखानों का एक के बाद एक बन्द होना, श्रमिकों का असन्तोष, श्रमिक संघर्ष एवम् उसके विस्फोट के परिप्रेक्ष्य में लेखक इन प्रश्नों का उत्तर खोजना चाहते हैं। अपनी इस खोज में लेखक ने नए तरीक़े से जूट उद्योग पर आए संकट के प्रत्येक पहलू को समझने की कोशिश की है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Economics Development Studies |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Shankar Das and Prasit Das |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
Contributors: | अमृता बेरा |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3392 |
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Disclaimer
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