शिक्षा में कला का स्थान
बसु, नन्दलाल (2020) शिक्षा में कला का स्थान संदर्भ (128). 75 -81.
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Introduction
हमारे जीवन में ललित कलाओं का एक विशेष स्थान है जो उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना विज्ञान, साहित्य आदि हैं। कला शिक्षण के माध्यम से हम जनसामान्य में अपने ही समाज में निहित कलाबोध को आधार बनाकर सौन्दर्य बोध को विकसित कर सकते हैं। कला केवल भोग-विलास की चीज़ नहीं है, बल्कि वह शिल्प का आधार है जिससे हम स्वावलम्बी बनकर अपनी जीविका कमा सकते हैं। स्कूली शिक्षा तथा विश्वविद्यालयीन शिक्षा का दायित्व है कि वे कला शिक्षण पर विशेष ध्यान दें। इस लेख में कलागुरू नंदलाल बसु इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Eklavya Foundation > Sandarbh |
Creators(English): | Nandalal Basu |
Publisher: | Eklavya Foundation |
Journal or Publication Title(English): | Sandarbh |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/1206 |
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Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.