मन के चित्रों और ख़्यालों से...
गुप्ता, वरुण (2021) मन के चित्रों और ख़्यालों से... संदर्भ (134). pp. 71-80.
Fulltext Document
मन के चित्रों और खयालों से....pdf Download (316kB) |
Introduction
हर बच्चा बहुत कुछ जानता है और अपने आसपास के संसार को देखते हुए अपनी समझ बनाता जाता है। बस ज़रूरत है उसे आज़ादी से अपनी बात कहने-सुनाने की और अध्यापक के स्नेह व समझ के साथ-साथ अच्छे वातावरण की। परन्तु लेखक ने पाया कि यह भी एक सच्चाई है कि अधिकतर बच्चे, यहाँ तक कि 9 व 10 वर्ष के विद्यार्थी भी पढ़-लिख नहीं पाते हैं। यह लेख बताता है कि कैसे एक शिक्षक की अटूट मेहनत और समझ के साथ बच्चों द्वारा अपने मन के ख़्यालों और चित्रों को कागज़ पर उतारने की प्रक्रिया से बच्चे आज आत्मविश्वास के साथ अपने विचार व भाव लिखकर व्यक्त कर पा रहे हैं।
Item Type: | Article |
---|---|
Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Eklavya Foundation > Sandarbh |
Creators(English): | Varun Guota |
Publisher: | Eklavya Foundation |
Journal or Publication Title(English): | Sandarbh |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/1339 |
Edit Item |
Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.