अलग-अलग मिज़ाज की किताबें उर्फ़ विधाओं की विद्या
प्रभात, (2020) अलग-अलग मिज़ाज की किताबें उर्फ़ विधाओं की विद्या पाठशाला भीतर और बाहर, 4. pp. 65-73.
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Introduction
यह लेख स्कूल के वर्षों में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा में साहित्य की उपेक्षा से जीवनपर्यन्त बनी रहने वाली साहित्यहीनता का सवाल उठाता है। स्कूल और पुस्तकालय दो ऐसी व्यवस्थाएँ हैं जो साहित्यहीनता के उजाड़ से जूझने में मददगार हो सकती हैं। अलग-अलग मिज़ाज के साहित्य की नज़ीर से विविध विधाओं के उदाहरण देते हुये लेख स्कूलों में साहित्य की गैर मौजूदगी के संदर्भ में कुछ सवाल तो उठाता ही है साथ ही मौखिक साहित्य क्या है, इसमें क्या शामिल है, लिखित साहित्य क्या है, आदि की चर्चा करते हुए उन्हें पढ़ने-समझाने के तौर-तरीक़ों की बानगी भी प्रस्तुत करता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | University Publications > Pathshala Bheetar Aur Baahar |
Creators(English): | Prabhat |
Publisher: | Azim Premji University |
Journal or Publication Title(English): | Paathshala Bheetar aur Bahar |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/2146 |
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Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.