बड़ों की दुनिया में बच्चे बनाम मेरे दोस्त का घर
नाग, निशा (2020) बड़ों की दुनिया में बच्चे बनाम मेरे दोस्त का घर पाठशाला भीतर और बाहर, 6. pp. 108-110.
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Introduction
ईरानी फ़िल्म खानेह दोस्त कोजास्त यानी ‘मेरे दोस्त का घर’ केवल अहमद का एक गाँव से दूसरे गाँव तक का सफ़र ही नहीं है, बल्कि बच्चों के प्रति वयस्कों या समाज के बड़े-बूढ़ों का रवैया, उनके विचार, बच्चों पर अधिकार भाव और पितृसत्तात्मक समाज में बच्चों की उस स्थिति को बताती है जो भविष्य में बच्चे को उसी बँधे-बँधाए साँचे में ढलने पर मजबूर कर देती है, जबकि मूल रूप से बच्चे मानवीय मूल्यों के साथ नि:स्वार्थ भाव से अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास रखते हैं।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | University Publications > Pathshala Bheetar Aur Baahar |
Creators(English): | Nisha |
Publisher: | Azim Premji University |
Journal or Publication Title(English): | Paathshala Bheetar aur Bahar |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/2190 |
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Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.