कहां बल और क्या ऊर्जा
वेलणकर, एस. बी. (1998) कहां बल और क्या ऊर्जा संदर्भ (21). pp. 9-16.
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Introduction
यदि हमारे ऊपर एक लोहे की बड़ी-सी गेंद लटक रही हो तो हम डरेंगे कि न जाने कब गिर जाए। यही गेंद समतल भूमि पर पड़ी हो तो इसके पास बैठने में हम हिचकिचाएँगे नहीं। अब मान लीजिए इस बड़ी-सी गेंद को, एक समतल भूमि पर, आपने धक्का मार कर छोड़ दिया। अब आप सोच सकते हैं कि क्या इसकी गति बढ़ती जाएगी या यह कुछ समय के बाद यह रुक जाएगी। आप यह भी जानेंगे कि न्यूटन का पहला सिद्धान्त क्या कहता है, और बल और ऊर्जा किस तरह से एक-दूसरे को प्रभावित करती है। इस लेख में बताया गया है कि बल की एक समग्र समझ बनाने के लिए ऊर्जा को जानना भी अत्यन्त आवश्यक है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Eklavya Foundation > Sandarbh |
Creators(English): | B.S. Velangakar |
Publisher: | Eklavya Foundation |
Journal or Publication Title(English): | Sandarbh |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/2729 |
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Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.