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महाभारत और पुरातत्व

सुब्रह्मण्यम, सी.एन. and बसंत, पी. के. (2006) महाभारत और पुरातत्व संदर्भ (54). pp. 49-63.

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Introduction

बीसवीं सदी में कई विद्वानों ने महाभारत के समालोचनात्मक संस्करण तैयार किए। इनमें अलग-अलग युगों के वृत्तान्त सम्मिलित हैं। कुछ वर्णन तो ऐसे युग से जुड़े हैं जब शहर नहीं उभरे थे और गो-पालन ही लोगों का मुख्य पेशा था। दूसरी तरफ़ ऐसे भी वृत्तान्त मिलते हैं जिनमें विकसित शहरों का वर्णन है। इस लेख का उद्देश्य महाभारत कथा का सत्यापन करना या उसे कपोल कल्पना कहना नहीं है। बल्कि यह बताना है कि महाभारत जैसी गाथाएँ किसी एक काल की नहीं बल्कि एक जीवन्त व परिवर्तनशील परम्परा का अंग हैं। हम पुरातत्व जैसे साक्ष्यों से यह पता करने की कोशिश कर सकते हैं कि कौन-सा अंश किस काल से सम्बन्धित रहा होगा।

Item Type: Article
Discipline: Education
Programme: Works of Partner Organisations > Eklavya Foundation > Sandarbh
Creators(English): C.N. Subramanyam & P.K. Basant
Publisher: Eklavya Foundation
Journal or Publication Title(English): Sandarbh
URI: http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/2739
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Disclaimer

Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.

अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್‍ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್‍ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.