राष्ट्रीय पाठ्यक्रम दस्तावेज़ : आलोचना का एक और पक्ष
शंकर, उपेन्द्र (2001) राष्ट्रीय पाठ्यक्रम दस्तावेज़ : आलोचना का एक और पक्ष शिक्षा विमर्श. 8 -16. ISSN 2231-0509
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Introduction
इस लेख में पाठ्यक्रम नीतियों और उसकी दिशाओं को लेकर बातचीत की गई है। लेख तीसरी कक्षा से अँग्रेज़ी को एक विषय के रूप में आरम्भ करने और माध्यमिक स्तर पर पाठ्यक्रम का अकादमिक व व्यावसायिक विभेदीकरण करके उसे व्यवसाय की ओर उन्मुख करने जैसे नीतिगत हस्तक्षेपों पर बातचीत करता है। साथ ही यह लेख पाठ्यक्रम निर्मित करते समय किन बातों का ध्यान रखा जाना ज़रूरी है, आज़ादी के पश्चात शिक्षा व्यवस्था में संकीर्णता क्यों बढ़ती जा रही है, आदि सवालों के उत्तर भी खोजने की कोशिश करता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Digantar > Shiksha Vimarsh |
Creators(English): | Upendra Shankar |
Publisher: | Digantar |
Journal or Publication Title(English): | Shiksha Vimarsh |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/2921 |
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Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.