हिंद स्वराज्य : गोधुलि वेला में परम्परा और आधुनिकता
सुहृद, त्रिदीप (2013) हिंद स्वराज्य : गोधुलि वेला में परम्परा और आधुनिकता प्रतिमान, 1 (1). pp. 1-12.
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Introduction
इस लेख में बीसवीं सदी के अन्त में ‘हिंद स्वराज’ के महत्व और इसकी सम्भावना पर नये सिरे से विचार किया गया है। ‘हिन्द स्वराज’ में अस्ताचल की ओर बढ़ रही, सीमित बन रही सम्भावनाओं का दर्शन है। विकल्पों की अधिकतमता और उन्हें बनाए रखने की जद्दोजहद को लेख रेखांकित करते हुए इसकी प्रवाहमयता में बार-बार निर्विकल्पता से जूझने का न्योता देता है। आधुनिकता के द्वार पर खड़ा तत्कालीन समाज और ‘हिन्द स्वराज’ की वर्तमान प्रासंगिकता की कसौटियों पर गाँधी के विचारों की परख करने वाले इस लेख में आलोचनात्मक विवेक का सन्तुलित इस्तेमाल देखने को मिलता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Theories and Histories of Development Development Studies |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Trideep Surhad |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3059 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.