ग़दर पार्टी (1913-1918) : लहू में भीगी यादें और देशभक्ति का ऐतिहासिक हिन्दी परिप्रेक्ष्य
सक्सेना, प्रदीप (2013) ग़दर पार्टी (1913-1918) : लहू में भीगी यादें और देशभक्ति का ऐतिहासिक हिन्दी परिप्रेक्ष्य प्रतिमान, 1 (2). pp. 498-516.
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Introduction
इस आलेख में गदर पार्टी के ऐतिहासिक महत्व व औपनिवेशिक व अन्य वजहों से इतिहास लेखन में उसकी उपेक्षा की बात की गयी है। इस सन्दर्भ में एक ऐतिहासिक स्रोतों के रूप में ‘चांद’ पत्रिका के 'फांसी' अंक व 'बलिदान' अंक को रेखांकित किया गया है। शिव प्रसाद वर्मा के क्रान्तिकारी आन्दोलन का वैचारिक विकास के हवाले से ग़दर आन्दोलन का महत्व बताया गया। लेख में बताया गया है कि गदर आन्दोलन राजनीतिक-सामाजिक सुधारों के सवाल पर अपने समकालीनों से आधी सदी आगे था, इसी तरह यह अपने समकालीनों से वैचारिक रूप से सदृढ़ था।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Social Science Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Pradeep Saxena |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3075 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.