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राज्य का सुरक्षा-विमर्श बनाम लोकतांत्रिक अधिकार : अदालती फ़ैसलों के आईने में राजद्रोह विरोधी कानून

सिंह, अनुष्का (2013) राज्य का सुरक्षा-विमर्श बनाम लोकतांत्रिक अधिकार : अदालती फ़ैसलों के आईने में राजद्रोह विरोधी कानून प्रतिमान, 1 (2). pp. 707-724.

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अदालती फ़ैसलों के आईने में राजद्रोह विरोधी कानून.pdf

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Introduction

इस आलेख में न्यायिक विमर्श की रोशनी में राजद्रोह कानून को राष्ट्रीय सुरक्षा; संविधानवाद और लोकतांत्रिक अधिकार – इन तीनों पहलुओं से परखा गया है। इसमें इस बात पर चर्चा की गई है कि राजद्रोह कानून में औपनिवेशिक निरन्तरता है। राष्ट्र-राज्य की प्राथमिकता के हिसाब से इसकी परिभाषा व परिधि दोनों बदलती रही हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के राष्ट्रीय सुरक्षा की लक्ष्मण रेखा लांघने के निर्णय का आधार कहा गया कथन होगा या उसका असर, इस पर न्यायिक विमर्श की चर्चा है और बताया गया है कि लोकतंत्र की परिपक्‍वता इस पर असर डालती रही है।

Item Type: Article
Discipline: Social Science Education
Programme: Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan
Creators(English): Anushka Singh
Publisher: CSDS, Delhi
Journal or Publication Title(English): Pratimaan
URI: http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3082
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Disclaimer

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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್‍ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್‍ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.