बंसोड, बाँस और लोकतंत्र
सिंह, रमाशंकर (2015) बंसोड, बाँस और लोकतंत्र प्रतिमान, 3 (1). pp. 225-273.
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Introduction
उत्तर प्रदेश में कम-से-कम चार जातियाँ - धरकार, बंसोड़, बंसफोर और डोम ऐसी हैं जिनका जीवन बाँस पर निर्भर करता है। कुछ समय पहले तक इन जातियों को बाँस आसानी से मिल जाता था, इसलिए उनके सामने जीविका का संकट इतना गहरा नहीं था, लेकिन आज इन जातियों के सामने जीविका ही नहीं बल्कि अस्तित्व का संकट भी खड़ा हो गया है। यह संकट यकायक उत्पन्न नहीं हुआ है। इन समुदायों की घोर ग़रीबी और वंचना के सूत्र राज्य के ढाँचे और उसकी परियोजनाओं में ढूँढे़ जाने चाहिए। प्रस्तुत लेख में यही समझने का प्रयास किया गया है कि बाँस के इन कारीगरों की वर्तमान नियति गढ़ने में जाति-विमर्श, लोकतंत्र तथा विकास की वृहत्तर संरचनाओं की क्या भूमिका रही है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Development Studies Sociology |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Ramashankar Singh |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3246 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.