भारत में धार्मिक पहचानों का गठन
श्रीमाली, कृष्ण मोहन (2017) भारत में धार्मिक पहचानों का गठन प्रतिमान (9). pp. 334-363.
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Introduction
भारतीय मिथकों में 'विचारों' तथा 'दैवीयता' का परिचय डार्विन की इस धारणा को सही साबित करता है कि दुनिया में सबसे सबल ही जीवित रह पाता है। कुछ समय से धर्माधारित राष्ट्र की माँगे कुलाँचे मार रही हैं, वह भी आधुनिक और उत्तर-आधुनिक समय में! विभिन्न पहचानों को किसी एक ख़ास पहचान के छाते के नीचे एक ही मान कर चलने के लिए लोगों को मानसिक रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। लेख ज़ोर देकर कहता है कि इसे अन्तर्वेशन न मानते हुए कई समुदायों का बहिर्वेशन माना जाए और इस एकता को सत्ता पाने के लिए की जा रही कवायद के रूप में देखना लाज़मी है। इस सारी प्रक्रिया को लेख कई कोणों से प्रस्तुत करता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Development Studies Political Science |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Krishna Mohan Shrimali |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3252 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.