आधुनिकता और लोकतंत्र की द्वंद्वात्मकता
शेठ, धीरूभाई (2014) आधुनिकता और लोकतंत्र की द्वंद्वात्मकता प्रतिमान, 2 (1). pp. 23-36.
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Introduction
इस बातचीत में चुनाव, सेफ़ॉलॉजी और समाजशास्त्र के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत विमर्श किया गया है। चुनावों के अध्ययन में कितने नज़रियों, पद्धतियों और सन्दर्भों का प्रयोग किया जाता है, किस प्रकार लोकतंत्र को इनसे फ़ायदे या नुकसान होते हैं, इस का गहराई से विश्लेषण किया गया है। चुनावों को समझने के क्रम में अन्य सामाजिक विज्ञानों की तरह समाजशास्त्र किस तरह सहायक हो सकता है, इसकी भी चर्चा इस लेख में है। लोकतंत्र विमर्श में चुनावों का सैद्धान्तिक पक्ष तो खूब देखा जाता है, लेकिन आँकड़ों की दुनिया से बाहर भी लोकतंत्र का समाजशास्त्रीय पक्ष है, यह भी व्यापक रूप से इस बातचीत का विषय है।
Item Type: | Interviews/Panel Discussions |
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Discipline: | Social Sciences Development Studies |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Dhirubhai Sheth |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3385 |
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Disclaimer
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