जनता का सम्प्रभु और बहुसंख्यकवाद
चटर्जी, पार्थ (2019) जनता का सम्प्रभु और बहुसंख्यकवाद प्रतिमान (13). pp. 1-9.
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Introduction
यह लेख 2014 बनाम 2019 लोकसभा चुनावों की तुलनात्मक समीक्षा करते हुए लिखा गया है। इसमें राजनीतिज्ञों के व्यक्तित्व, साम्प्रदायिकता के चढ़ते ग्राफ़ में राजनीति की भूमिका को आँका गया है। लेखक ने समकालीन राजनीति में हिन्दू बहुसंख्यक राष्ट्रवाद, चुनावों में सोशल मीडिया की भूमिका, नोटबन्दी, याराना पूँजीवाद, एकांगी सांस्कृतिक परियोजना, भाषा नीति, जैसे मुद्दों को गहरी समझ के साथ पेश किया है। किस प्रकार आतंक का माहौल बनाने के लिए अल्पसंख्यक-विरोध की ऐतिहासिक स्थितियों की आड़ लेकर गौरक्षा अभियान व तीन तलाक क़ानून और नागरिकता क़ानून में संशोधन को लाकर छद्म-धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे को हवा देना, सर्जिकल स्ट्राइक, दक्षिण पन्थी लोकलुभावनवाद, जैसे विभिन्न मुद्दों पर खुलकर चर्चा की गई है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Development Studies Political Science |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Partha Chatterjee |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
Contributors: | Translator: नरेश गोस्वामी |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3409 |
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Disclaimer
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