बग़ावत पर सोचते हुए बाग़ी : उपलब्धियाँ, विषाद और अवसाद
बोरा, बनस्मिता (2019) बग़ावत पर सोचते हुए बाग़ी : उपलब्धियाँ, विषाद और अवसाद प्रतिमान (13). pp. 310-328.
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Introduction
यह लेख पूर्वोत्तर भारत में हिंसक विद्रोहियों के अभ्युदय और संगठन की कथा कहता है। यह लेख विद्रोहियों की जटिल मानसिकता, असम के सशस्त्र संगठनों और बग़ावत में निहित मूल्यों-आकांक्षाओं को समझने की कोशिश करता है। लेखकों ने विद्रोही आन्दोलन की उपलब्धियों के साथ आई क्षेत्रीय और जातीय अस्मिता के प्रति पूर्वाग्रह और व्यवहारगत परिवर्तन एवं सामाजिक-राजनीतिक चेतना व जागरूकता को भी तटस्थ तौर पर देखने का प्रयास किया। इन आन्दोलनों की विफलताओं से उत्पन्न हताशा, निराशा और हानियों, मौजूदा दौर में इन सशस्त्र आन्दोलनों का भूमण्डलीकरण, पाश्चात्य-संस्कृति के प्रभाव और बाज़ारवादी अर्थव्यवस्था से उत्पन्न चुनौतियों से घिरे होने के साथ-साथ इन संगठनों की आन्तरिक चुनौतियों व सीमाओं का बाग़ियों के नज़रिये से विश्लेषित करने का प्रयास किया है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Development Studies Political Science |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Banasmita Bora |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3415 |
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Disclaimer
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