शिक्षा अपने आप में मूल्यों का सम्प्रेषण है
कुमार, कृष्ण and प्रपन्न, राघवेन्द्र (2003) शिक्षा अपने आप में मूल्यों का सम्प्रेषण है शिक्षा विमर्श. pp. 15-22. ISSN 2231-0509
Fulltext Document
शिक्षा अपने आप में मुल्यों का सम्प्रेषण है.pdf Download (81kB) |
Introduction
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2000 दस्तावेज़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि दस्तावेज़ में प्रक्रिया पूरी नहीं की गई थी। प्रो. कृष्णकुमार से यह बातचीत कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद की गई थी। इस बातचीत में याचिका में दर्ज आपत्तियों पर विस्तृत चर्चा है। साथ ही कोर्ट के फ़ैसले के बाद दस्तावेज़ पर क्या प्रभाव पड़ेगा और शिक्षा की प्रक्रियाओं में राजसत्ता एवं न्यायालयों द्वारा हस्तक्षेप को किस तरह देखा जाना चाहिए, जैसे सवालों पर भी इस बातचीत में चर्चा की गई है।
Item Type: | Interviews/Panel Discussions |
---|---|
Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Digantar > Shiksha Vimarsh |
Publisher: | Digantar |
Interviewee(English): | Krishna Kumar |
Journal or Publication Title(English): | Shiksha Vimarsh |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3421 |
Edit Item |
Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.