पुस्तकालय के मायने
दीवान, हृदय कान्त (2009) पुस्तकालय के मायने खोजबीन (5). pp. 26-29.
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Introduction
लेख पुस्तकालय की उपयोगिता पर प्रकाश डालता है। यह रेखांकित करता है कि पुस्तकालय पढ़ने की, जानने की, सोचने की और अपना मत बनाने की स्वतंत्रता देता है। यह स्वतंत्रता पाठ्यपुस्तकों की बाध्यता से इतर पुस्तकालय की पुस्तकें पाठक को स्वयं चुनने की आज़ादी देती हैं जो पाठक के ज्ञान के दायरे को विस्तृत करने में अहम भूमिका निभाती हैं। इसमें लेखक इंगित करते हैं कि पुस्तकालय के बारे में हमारी सामूहिक समझ नहीं है, हमें अपने सोचने के दायरों को बढ़ाना होगा क्योंकि पुस्तकालय का उपयोग बच्चों के विकास व सीखने के लिए बहुत आवश्यक है। इसके लिए व्यापक स्तर पर शिक्षकों व अभिभावकों के साथ संवाद करने की ज़रूरत है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Vidya Bhawan Society > Khojbeen |
Creators(English): | Hriday kant Dewan |
Publisher: | Vidya Bhawan |
Journal or Publication Title(English): | Khojbeen |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3498 |
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Disclaimer
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अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.