मानसून से सामंजस्य बनाता समाज : सन्दर्भ राजस्थान
कुमार, मयंक (2015) मानसून से सामंजस्य बनाता समाज : सन्दर्भ राजस्थान प्रतिमान (6). pp. 602-616.
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Introduction
क्या मानसून का स्वरूप साल-दर-साल एक-सा ही रहता है? अगर नहीं, तो इसके स्वरूप में बदलाव की क्या वजह है? मानव-समाज का मानसून से कैसा सम्बन्ध रहा है? मानसून किस तरह से मानव-जीवन को प्रभावित करता रहा है, तथा मानसून के स्वभाव में आने वाले बदलावों से मनुष्य किस हद तक और किस तरह से एकता कायम करने में सफल रहा है? ऐसे ही कुछ प्रश्नों पर लेखक ने यहाँ विचार किया है। उन्होंने अपनी बात औपनिवेशिक काल के पहले के राजस्थान में समाज और मानसून के सम्बन्धों पर केन्द्रित की है। इसकी एक बड़ी वज़ह यह है कि इस इलाक़े में राजकीय अभिलेखागार, बीकानेर में संग्रहित प्रचुर स्थानीय स्रोत उपलब्ध हैं।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Ecology and Development in India |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Mayank Kumar |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3666 |
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Disclaimer
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