शासकों की पुलिस को जनता की पुलिस बनाने की आवश्यकता
शर्मा, बी. एम. (2015) शासकों की पुलिस को जनता की पुलिस बनाने की आवश्यकता मूल प्रश्न. 11 -17.
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Introduction
यह लेख जनता और पुलिस प्रशासन के बीच के सम्बन्धों को प्रस्तुत करता है। लेखक का मानना है कि पुलिस बल एक सामाजिक व्यवस्था है। लेकिन असहायक एवं अभद्र कार्य-शैली के कारण लोगों को उस पर विश्वास नहीं रहा है। लेखक इसके कारणों और उनके उन्मूलन के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। पुलिस के क्रूरतापूर्ण व्यवहार से जनता में उत्पन्न घृणा भाव आज भी कम नहीं हुए हैं। नए संविधान के क़ानून एवं व्यवस्था तथा वर्तमान पुलिस प्रणाली को प्रदेश शासन के अन्तर्गत ही रखा गया है। पुलिस प्रशासन को सामाजिक परिवर्तनों को समझकर लोकतांत्रिक दर्शन के तहत ‘कम्यूनिटी पुलिस’ के रूप में और पुलिस का महिलाकरण (feminization) करते हुए समाज के साथ जुड़ना होगा। इसके लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति आवश्यक है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Law and Governanace |
Programme: | Works of Partner Organisations > Moolprashna > Moolprashna |
Creators(English): | B.M. Sharma |
Publisher: | Mool Prashna |
Journal or Publication Title(English): | Mool Prashna |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3733 |
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.