राह ‘प्रजातंत्र’ से जनतंत्र की
जोशी, प्रज्ञा (2008) राह ‘प्रजातंत्र’ से जनतंत्र की मूल प्रश्न. pp. 55-59.
Fulltext Document
राह ‘प्रजातंत्र’ से जनतंत्र की.pdf Download (340kB) |
Introduction
लेख बताता है कि जनतंत्र निर्माण के लिए राज्य द्वारा भौतिक संसाधनों का सार्वभौमिकीकरण किया जाना चाहिए। किन्तु इसके उलट राज्य भौतिक संसाधनों पर ख़ुद ही कब्ज़ा कर लेता है। इसका परिणाम यह होता है कि भौतिक संसाधनों से वंचित जनता के लिए सामुदायिक पहचान ही प्रमुख बन जाती है। इसे बचाए रखने के लिए व्यक्ति और विशेषकर महिलाओं की स्वतंत्र गतिशीलता पर अंकुश लगाया जाता है। यह प्रक्रिया जाति और कर्मकाण्डों के रूप में अन्ततः सामाजिक भेदभाव को ही बढ़ावा देती है। इसलिए एक सफल जनतंत्र के लिए राज्य को जनसहभागिता की पहल करनी चाहिए।
Item Type: | Article |
---|---|
Discipline: | Political Science |
Programme: | Works of Partner Organisations > Moolprashna > Moolprashna |
Creators(English): | Pragnya Joshi |
Publisher: | Mool Prashna |
Journal or Publication Title(English): | Mool Prashna |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3754 |
Edit Item |
Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.