क्या हम वास्तव में राष्ट्रवादी हैं?
प्रेमचन्द, (1934) क्या हम वास्तव में राष्ट्रवादी हैं? डिबेट ऑनलाइन (1).
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Introduction
सामाजिक, सांस्कृतिक और राजकीय मूल्यों के साथ ‘राष्ट्रवाद’ की अवधारणा में भी परिवर्तन देखने को मिलते हैं। लेखक ने यहाँ राष्ट्रवादी आन्दोलन और उस समय के सामाजिक-राजनीतिक मूल्यों के बदलावों को ध्यान में रखते हुए व्यापक रूप में ‘राष्ट्रवाद’ की अवधारणा को फिर से गढ़ने की कोशिश की है। आधुनिक शिक्षा और विचारों के साथ-साथ पाश्चात्य विचारों को ग्रहण करते हुए देशी समस्याओं जैसे जातिवाद, साम्प्रदायिकता, अन्धश्रद्धाओं, सामन्ती शोषण को हल करने और राष्ट्रवाद की अवधारणा को अधिक विस्तृत करने के ईमानदार प्रयास लेख में झलकते हैं।
Item Type: | Article |
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Discipline: | History Literature Political Science |
Programme: | Works of Partner Organisations > Debate Online |
Creators(English): | Premchand |
Journal or Publication Title(English): | Debate online |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3890 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.