लिखना-पढ़ना सिखाने की विधियों के बारे में
तोलस्तोय, लेव (1995) लिखना-पढ़ना सिखाने की विधियों के बारे में संदर्भ (4). pp. 68-74.
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Introduction
सीखने-सिखाने के तरीक़ों में विकास और सुधार की कोई सीमा नहीं होती है। इसलिए शिक्षा में नवाचार की एक अहम भूमिका है। लेकिन नवाचार कैसे हो? क्या नई विधियाँ पुरानी विधियों को कूड़ेदान में फेंककर अपनाई जा सकती हैं? या दूसरे परिवेश में विकसित विधियों को हम हूबहू कहीं भी अपना सकते हैं? नई और पुरानी विधियों के बीच में क्या सम्बन्ध हो सकता है? क्या कोई एक रामबाण विधि हो सकती है? ये सभी सवाल अपनी जगह महत्त्वपूर्ण हैं। प्रस्तुत है इन्हीं प्रश्नों पर रूस के महान साहित्यकार लेव तोलस्तोय द्वारा सन 1862 में लिखा यह लेख। शैक्षणिक नवाचारों में रुचि रखने वालों के लिए यह आज भी प्रासंगिक है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Eklavya Foundation > Sandarbh |
Creators(English): | Leo Tolstoy |
Publisher: | Eklavya Foundation |
Journal or Publication Title(English): | Sandarbh |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/950 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.