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सवालीराम : घोड़ा लेटता है, बैठता भी है

सवालीराम, (1996) सवालीराम : घोड़ा लेटता है, बैठता भी है संदर्भ (11). pp. 18-22.

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सवालीराम - घोड़ा लेटता है.pdf

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Introduction

घोड़े का लेटना-बैठना उसकी नींद की अवस्थाओं से सम्बन्धित है। वह केवल गहरी नींद की अवस्था में ही लेटता है, अन्यथा वह खड़े-खड़े नींद की झपकियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में भी ले सकता है। अपने पैरों की रचना के कारण वह बिना गिरे सो सकता है। थकान से बचने के लिए घोड़ा चार में से कोई एक पैर थोड़ा ऊपर उठाकर अपने शरीर का वज़न बाक़ी के तीन पैरों पर डाल देता है। बैठने पर उसके शरीर का पूरा भार गर्दन और पेट के बीच में आ जाता है, जिससे उसके श्वसन तंत्र पर दबाव पड़ता है और उसे साँस लेने में कठिनाई होती है, अगर यह स्थिति 15-20 मिनट से अधिक बनी रहे तो घोड़े के लिए जानलेवा हो सकती है। लेख में इस सन्‍दर्भ में और अधिक चर्चा है।

Item Type: Article
Discipline: Education
Programme: Works of Partner Organisations > Eklavya Foundation > Sandarbh
Creators(English): Sawaliram
Publisher: Eklavya Foundation
Journal or Publication Title(English): Sandarbh
URI: http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/952
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Disclaimer

Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.

अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್‍ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್‍ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.