रोशनी और मुर्गी का अण्डा
मित्रा, स्निग्धा (1997) रोशनी और मुर्गी का अण्डा संदर्भ (18). pp. 57-63.
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Introduction
मुर्गियों की अण्डा उत्पादन क्षमता अच्छी नस्ल, बेहतर आहार और अनुकूल वातावरण पर निर्भर है। मुर्गी की उम्र जब लगभग बीस सप्ताह की होती है तब से वह अण्डे डालने लगती है। अण्डे के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मुर्गियों को प्रतिदिन 16 घण्टे रोशनी में रखा जाता है ताकि वह प्रतिदिन एक अण्डा दे सके। मुर्गी की आँख के रेटिना पर गिरने वाले प्रकाश से उसकी पीयूष ग्रन्थि ल्यूटिनाइजि़ंग हार्मोन स्रावित करती है जो डिम्बोत्सर्जन में सहायक है। शाकाहारी अण्डा यानी अनिषेचित अण्डा जिससे चूज़ा नहीं बनता। अगर निषेचन न भी हो तो भी अण्डाणु अपना सफ़र पूरा करता है व अनिषेचित अण्डे के रूप में मुर्गी के शरीर से बाहर आता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Eklavya Foundation > Sandarbh |
Creators(English): | Snigdha Mitra |
Publisher: | Eklavya Foundation |
Journal or Publication Title(English): | Sandarbh |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/1768 |
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Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.