स्कूल के सवाल ज़िन्दगी के सवालों से फ़र्क क्यों?
यशपाल, प्रोफे़सर (1997) स्कूल के सवाल ज़िन्दगी के सवालों से फ़र्क क्यों? संदर्भ (18). pp. 15-28.
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Introduction
इस लेख में स्कूल में विज्ञान पढ़ाए जाने के तरीक़ों को चर्चा की गई है। रोज़ाना की ज़िन्दगी से जुड़े सवालों को स्कूल की पढ़ाई से अलग कर पढ़ाई को विषयों के दायरे में बान्ध कर रख दिया है। पढ़ने का उद्देश्य केवल नम्बर लाना है। जब भी शिक्षा को सुधारने के लिए कोई नई संस्था बनाते हैं तो नए प्रतिबन्ध आ जाते हैं। अगर पढ़ाई का ज़िन्दगी से ताल्लुक़ न हो तो आविष्कारक बनना कठिन है। गाँवों में कितने नवाचार/जुगाड़ करते हैं लोग। शिक्षा के इस सिस्टम और अपने नए सिस्टम को साथ लेकर चलना चाहिए। लेखक ने भारत में शिक्षा व्यवस्था की बुनियादी समस्याओं पर भी अपने विचार रखे हैं।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Eklavya Foundation > Sandarbh |
Creators(English): | Professor Yashpal |
Publisher: | Eklavya Foundation |
Journal or Publication Title(English): | Sandarbh |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/1769 |
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Disclaimer
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अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.