तुमने यह क्या बनाया
जोशी, कमलेश चन्द्र (1997) तुमने यह क्या बनाया संदर्भ (16). pp. 54-59.
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Introduction
माता-पिता व शिक्षक बच्चों से चित्र बनवाने को एक गौण विषय मानते हैं। लेकिन चित्र बनाने से बच्चों के हाथ का सन्तुलन बनता है, उनकी रचनात्मकता, मौलिक सोच और कल्पनाशीलता का विकास होता है जो उनके मौखिक ओर लिखित रूप में अभिव्यक्त करने की क्षमता को जगा सकती है। बच्चों के लिए ‘चित्रों की दुनिया’ मूर्त है जबकि ‘शब्द–अक्षर’ अमूर्त हैं। वे अपने चित्रों के लिए अधिकतर चटक रंग ही चुनते हैं। अपने चित्रों के बारे में बताने से उनका संकोच दूर होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है। किताबों से नक़ल कर बनवाए गए चित्रों की जगह उनकी स्वाभाविक सोच, कल्पनाशीलता, रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाले चित्र बनवाना लाभप्रद होगा।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Eklavya Foundation > Sandarbh |
Creators(English): | Kamalesh Chandra Joshi |
Publisher: | Eklavya Foundation |
Journal or Publication Title(English): | Sandarbh |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/1776 |
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Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.