मंटो : सियासत के अधूरे अफ़साने
अहमद, हिलाल (2013) मंटो : सियासत के अधूरे अफ़साने प्रतिमान, 1 (1). pp. 254-267.
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Introduction
यह लेख सआदत हसन मंटो की कहानियों में निहित बौद्धिक राजनीति के अर्थग्रहण की एक शुरुआती कोशिश है। चूँकि इस विषय पर अभी तक विस्तृत और व्यवस्थित अध्ययन होना बाकी है, इसलिए पाठकों को लेख में दी गई दलीलों का दायरा बेहद सीमित लगेगा। हिलाल अहमद का ख़याल है कि मंटो अपनी राजनीति की कोई व्याख्या करने की ज़हमत उठाने के लिए तैयार नहीं हैं। मंटो की कहानियों में तर्क के स्थान, उसके प्रस्तुतीकरण और विधा के साथ उसके विरोधाभास को हमारे विश्लेषण में अवधारणात्मक औज़ार की तरह इस्तेमाल किया गया है और इसका सम्बन्ध हमारी अपनी समझ तक सीमित है। लेकिन यह औज़ार हमें संगठन आधारित राजनीति और बौद्धिक राजनीति के बीच अन्तर करने में सहायता प्रदान कर सकता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Studying Language and Literature Development Studies History Political Science |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Hilal Ahmed |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaani |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3067 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.