वैज्ञानिक दृष्टिकोण का दार्शनिक पुनर्लेखन
झा, अविनाश (2015) वैज्ञानिक दृष्टिकोण का दार्शनिक पुनर्लेखन प्रतिमान, 3 (1). pp. 187-190.
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Introduction
यह बीस निबन्धों के संग्रह की पुस्तक समीक्षा है। यह समीक्षा किताब के प्रति उत्सुकता जगाने के अलावा एक मुकम्मल आलोचनात्मक नज़रिया भी पेश करने की कोशिश करती है। जब किताब किसी एक विषय पर केन्द्रित न हो, तो पुस्तक समीक्षा काफ़ी मुश्किल हो जाती है, यहाँ समीक्षक ने पूरी कोशिश की है कि किताब में चर्चित तमाम विषयों को एक नज़रिया देते हुए पेश करे। समीक्षित किताब में दार्शनिक विषयों, जैसे मृत्यु और मित्रता से लेकर पिछले दशकों की बड़ी सामाजिक और राजनीतिक बहसों की थाह ली गई है। किताब विशुद्ध दार्शनिक चिन्तन और वृहत्तर सामाजिक सरोकारों के बीच आवाजाही करती है। समीक्षक निबन्ध रूप या विधा के प्रति भी अपनी टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए उसकी संवादधर्मिता और सुगठित भाषायी अभिव्यक्ति पर अपना मत प्रस्तुत करता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Philosophy |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Avinsha Jha |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3242 |
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Disclaimer
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.