शिक्षक की स्वायत्तता
बिजल्वाण, संजीव (2014) शिक्षक की स्वायत्तता शिक्षा की बुनियाद (9). pp. 36-39.
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Introduction
लेख शिक्षकों की स्वायत्तता को सन्दर्भित करता है और बताता है कि आज के सन्दर्भ में शिक्षक की भूमिका एक सुगमकर्ता के रूप में ही प्रासंगिक है। लेखक इंगित करते हैं कि विभिन्न सरकारी प्रयासों के बावजूद स्कूलों में ढाँचागत सुधार तो हुआ है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता पर इतना ज़्यादा प्रभाव नहीं हो पाया है। वे सुझाते हैं कि सभी योजनाओं में शिक्षक को केन्द्र में रखकर, कक्षा में सीखने- सिखाने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जाए, साथ ही शिक्षक को सामग्री, कक्षा शिक्षण, भाषा, परिवेश आधारित शिक्षण जैसे बिन्दुओं पर स्वयं निर्णय लेकर लागू करने की छूट देने से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में बदलाव लाया जा सकता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Education |
Programme: | Works of Partner Organisations > Vidya Bhawan Society > Shiksha Ki Buniyad |
Creators(English): | Sanjeev Bijlwan |
Publisher: | Vidya Bhawan Society |
Journal or Publication Title(English): | Shiksha ki Buniyad |
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URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3098 |
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ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.