क्या चाहती हैं वोटर औरतें?
देशपाण्डे, राजेश्वरी (2014) क्या चाहती हैं वोटर औरतें? प्रतिमान, 2 (1). pp. 173-182.
Fulltext Document
क्या चाहती हैं वोटर औरतें.pdf Download (378kB) |
Introduction
ऐतिहासिक रूप से हाशियाकृत प्रत्येक वर्ग को चुनावी प्रक्रिया का सक्रिय अंग बनाना भी लोकतंत्र की प्रक्रिया के रूप में देखना अनिवार्य है। चुनावों में स्त्रियों की भागीदारी का मिज़ाज और उनके मतदान का क्रमिक विकास समझना इस लेख का मुख्य विषय है। पहचान की राजनीति ने स्त्रियों की पहचान को क्या अन्य वर्गों जैसे जाति, धर्म, क्षेत्र की पहचान के साथ घालमेल तो नहीं कर दिया है? सक्रिय राजनीति में मौजूद विमर्श और मुद्दों की राजनीति के बीच औरतें अपने निर्णय में किन कारकों को तरजीह देती हैं? प्रचलित सच्चाई बनाम क्षेत्रीय और व्यक्तिगत सोच से वे किस तरह एक-दूसरों को प्रभावित करती हैं? लेख राष्ट्रीय सामान्यीकृत सन्दर्भों को ध्यान में रखकर स्त्रियों के मतदान व्यवहार पर कुछ टिप्पणियाँ करता है।
Item Type: | Article |
---|---|
Discipline: | Social Sciences State, Democracy and Civil Society in India Development Studies Political Science |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Rajeshwari Deshpande |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
Contributors: | अनुवादक : नरेश गोस्वामी |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3140 |
Edit Item |
Disclaimer
Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.
अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.