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पुस्तकालय व पुस्तकों के इस्तेमाल की सम्भावनाएँ

दीवान, हृदय कान्त (2023) पुस्तकालय व पुस्तकों के इस्तेमाल की सम्भावनाएँ पाठशाला भीतर और बाहर, 18. pp. 1-5. (In Press)

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पुस्तकालय व पुस्तकों के इस्तेमाल की संभावनाएँ.pdf

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Introduction

अभिभावक, स्कूल के शिक्षक एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों के सदस्य मानते हैं कि पाठ्यपुस्तकों के इतर पुस्तकें पढ़ना ज़रूरी है, और यह ज्ञान निर्माण में मददगार होता है। लेकिन स्कूल में, शैक्षणिक संस्थान में एक सार्थक पुस्तकालय की कल्पना साकार करना मुश्किल नज़र आता है। एक सार्थक पुस्तकालय कैसा हो; उसमें शिक्षकों की भूमिका क्या हो; बच्चों की किताबों में दिलचस्पी पैदा करने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है; और यह हो पाए, इसके लिए शिक्षक की क्या तैयारी हो; पुस्तकालय में गतिविधियाँ हों या नहीं; यदि हों तो किस तरह की हों? यह लेख ऐसे कुछ प्रश्नों पर अपने विचार रखता है।

Item Type: Article
Discipline: Teaching Learning Material And Aids-Education
Education
Programme: University Publications > Pathshala Bheetar Aur Baahar
Creators(English): Hridaykant Dewan
URI: http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/4018
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Disclaimer

Translated from English to Hindi/Kannada by Translations Initiative, Azim Premji University. This academic resource is intended for non-commercial/academic/educational purposes only.

अनुवाद पहल, अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित। इस अकादमिक संसाधन का उपयोग केवल ग़ैर-व्यावसायिक, अकादमिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

ಅಜೀಂ ಪ್ರೇಮ್‍ಜಿ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯದ ಅನುವಾದ ಉಪಕ್ರಮದ ವತಿಯಿಂದ ಇದನ್ನು ಇಂಗ್ಲೀಷ್‍ನಿಂದ ಕನ್ನಡಕ್ಕೆ ಅನುವಾದಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲವನ್ನು ವಾಣಿಜ್ಯೇತರ, ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿಗೆ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.