जनतंत्र और जनवाद के बीच : कुछ सैद्धांतिक सवाल
निगम, आदित्य (2014) जनतंत्र और जनवाद के बीच : कुछ सैद्धांतिक सवाल प्रतिमान, 2 (1). 01-22.
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Introduction
यह लेख जनतांत्रिक ताने-बाने में बसे जनवाद और उससे उपजे आन्दोलनों का जायज़ा लेता है। अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में उठे जन-उभार के बहाने लेखक ने कई आन्दोलनों की वैचारिक और सैद्धान्तिक मंशाओं को खंगालने का प्रयास किया है। किस तरह कोई आन्दोलन जनतंत्र को मज़बूत करने के साथ-साथ उसके द्वारा मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए अपने अधिकारों को प्रस्तुत करने और प्रश्नों को उपस्थित करने का मंच प्रदान करता है। आन्दोलन में कार्यरत लोग सिर्फ़ भीड़ का हिस्सा न होकर जनता के रूप में उपस्थित होते हैं, इसे समझने के लिए एक सैद्धान्तिक ढाँचा देने का प्रयास इस लेख में देखा जा सकता है। आवाज़ उठाने और आन्दोलन करने में जो अन्तर है, वह इस लेख में कई उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट होता है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Social Sciences Development Studies Political Science |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Aditya Nigam |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3141 |
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