प्रवासी मज़दूर : बिदेसिया लोक-संस्कृति
सिंह, धनंजय (2014) प्रवासी मज़दूर : बिदेसिया लोक-संस्कृति प्रतिमान, 2 (1). pp. 279-311.
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Introduction
यह लेख औपनिवेशिक दौर के सबसे बड़े भाषायी क्षेत्र भोजपुरी प्रदेश में होने वाले श्रम-प्रवसन के परिणामस्वरूप निर्मित 'बिदेसिया' लोक-संस्कृति के बहाने प्रवासी मज़दूरों के सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास की रचना का प्रयास है। यह लेख इस लोक-संस्कृति के कई पहलुओं पर विचार करता है जैसे कि; 'बिदेसिया' का उद्भव और विकास किस रूप में हुआ है; लोक-संस्कृति में कलकत्ता और कलकत्ता में प्रवासी मज़दूर की उपस्थिति किस रूप में है; भोजपुरिया श्रमिक समुदाय के लिए रेलगाड़ी औपनिवेशिक दौर में किस तरह प्रवसन का प्रतीक बनी; मौखिक-परम्परा में दाम्पत्य जीवन में नैतिक आग्रह और यौन-पवित्रता का सवाल किस रूप में है।
Item Type: | Article |
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Discipline: | Anthropology Social Sciences Development Studies Sociology |
Programme: | Works of Partner Organisations > Centre for the Study of Developing Societies > Pratimaan |
Creators(English): | Dhananjay Singh |
Publisher: | CSDS, Delhi |
Journal or Publication Title(English): | Pratimaan |
URI: | http://anuvadasampada.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3142 |
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Disclaimer
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